हजरत अली अ.स के नहजुल बलागाह से लिए गए कुछ बहतरीन अक़वाल :
- अल्लाह ने अपनी इताअत पर सवाब और अपनी नाफ़रमानी पर सज़ा इस लिए रक्खी है के अपने बन्दों को अज़ाब से दूर रक्खे और जन्नत की तरफ घेर कर ले जाये.
- कंजूसी तमाम बुराई की जड़ है और ऐसी मेहार है ,जिससे हर बुराई की तरफ खिच कर जाया जा सकता है .
- इल्म अमल से जुड़ी हुई चीज़ है लिहाज़ा जो जानता है वोह अमल भी करता है ,और इल्म अमल को पुकारता है -अगर वोह लब्बैक कहता है तो बहतर है वरना वोह भी उससे रुखसत हो जाता है -
- जो तुमसे हुस्ने जन रक्खे ,उसके गुमान को सच्चा साबित करो -
- ईमान दिल से पह्चान्ना ,ज़बान से इक़रार करना और आज़ा से अमल करना है -
- हसद की कमी बदन की सेहत का सबब है -
- इतनी अक्ल तुम्हारे लिए काफी है जो गुमराही की राहो को हिदायत के रास्तो से अलग करके तुम्हे दिखा दे -
- जो हक से टकराएगा ,हक उसे पछाढ़ देगा -
- फ़क्र और सर्बुलंदी को छोड़ो ,घमंड ओ गुरूर को मिटाओ ,और कब्र को याद रक्खो -
- जिस चीज़ पर कनात कर ली जाये वोह काफी है-
- जिसे अपनी आबरू अज़ीज़ हो ,वो लड़ाई झगड़े से किनारह कश रहे-
- ज़ालिम के लिए इन्साफ का दिन उससे ज्यादा सख्त होगा ,जितना मजलूम पर ज़ुल्म का दिन -
- जो अमल नहीं करता और दुआ मांगता है वोह ऐसा है जैसे बगैर चिल्ला कमान के तीर चालाने वाला-
- वोह उम्र जिसके बाद अल्लाह आदमी के उज़्र को कुबूल नहीं करता है ,६०(60 years) बरस की है -
- मै(हज़रत अली ) अहले ईमान का सरदार हूँ और बदकारो का माल सरदार है -