Tuesday, September 07, 2010

Hazrat Fatima a.s ki tasbih ki fazilat BY

बिसमिल्लाह हिररहमानिर रहीम   
हज़रत फातिमा अ.स और आपकी तस्बीह की फ़ज़ीलत 
तस्बीह के बारे मै अयातुल्लाह सय्यद अली नकी नकवी (नक्कन साहब)फरमाते है :कहीं से माले गनीमत में कुछ कनीज़े आई और वोह असहाब को तकसीम की जा रही थी -तो रिवायत बताती है के हज़रत अमीरुल मोमिनीन अली अ.स ने घर मै आकर फ़रमाया :तुम्हारे वालिद बुज़ुर्गवार स.अ.व.व के पास कनीज़े आयी है और मुख्तलिफ सहाबा को दे रहे हैं तो जितना सबको हक है उतना तो तुम्हे भी है -लिहाज़ा अपने अपने वालिद के पास आप जाइए और खुआहिश करिए के एक कनीज़ तुम्हारे सुपुर्द करदें -अब किन लफ्जों मै कहाँ होगा वोह रिवायत ने नहीं बताया ------मैं समझता हूँ कि हाथ दिखा दिए होंगें यही काफी है -हज़रत मोहम्मद स.अ.व.व ने फ़रमाया बेटी हाँ ठीक है  मुतालेबा तुम्हारा ठीक है -मगर तुम खुद बताओ कनीज़ लोगी या एक ऐसी तस्बीह सिखादूं जो आस्मां के मलिका को बहुत पसंद है  -हज़रत फातिमा अ.स कहने लगी बाबाजान बस तस्बीह सिखा दीजिये -और वोह तस्बीह थी ३४ बार अल्लाहो अकबर ,३३ बार अल्हम्दोलिल्लाह ,३३ बार सुभान अल्लाह -इसलिए इस तस्बीह का नाम तस्बीह-ऐ-फातिमा ज़हर स.अ पढ़  गया -  
हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अ.स का फरमान :
हज़रत फातिमा अ.स कि तस्बीह से बढ़ कर कोई इबादत नहीं है इस लिए के अगर के अगर उससे बढ़ कर कोई और शै(चीज़ ) होती तो रसूल स.अ.व.व हज़रत फातिमा अ.स वही चीज़ अता फरमाते -  
इमाम जफ़र सादिक अ.स का फरमान :


  • जो शख्स वाजिबी नमाज़ के बाद हज़रत फातिमा अ.स कि तस्बीह को बजा लाये और वोह उस हल मै हो के उसने अभी तक अपने दाये पाओ को बाये पाओ पर से उठाया भी न हो ...उसके तमाम gunah माफ़ करदिये जाते है -और इस तस्बीह का आगाज़ अल्लाहोअक्बर से किया जाये-(तहज़ीबुल अहकाम जिल्द २ पेज 105)
  • हर रोज़ हज़रत फातिमा अ.स कि तस्बीह का हर नमाज़ के बाद बजालाना मेरे नजदीक रोजाना एक हज़ार रकत नमाज़ अदा करने से ज़्येदा महबूब है- (फुरु-ऐ-काफी किताब सलत पेज ३४३ हदीस 15)
रात को सोने से पहले तस्बीह पढ़ने कि फ़ज़ीलत 
  • हज़रत इमाम जफ़र सादिक अ.स ने फ़रमाया :जो शख्स रात को सोने से पहले हज़रत फातिमा अ.स की तस्बीह को पढ़े तो वोह उन मर्दों और औरतो मै शुमार होगा जो अल्लाह को ज्यादा याद करते है -(वासिल उष शिया जिल्द ४ पेज 1026).
  • हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अ.स ने फ़रमाया :जो शख्स तस्बीह के बाद अस्ताग्फार करे ...उसके गुनाह माफ़ करदिये जाते है -और उसके दानो की अदद १०० है -और उसका सवाब मीज़ान-ऐ-अमल मै हज़ार दर्जा है-

 




Monday, September 06, 2010

Hazrat Ali a.s ke hikmat bhare aqwaal



हजरत अली अ.स के नहजुल बलागाह से लिए गए कुछ बहतरीन अक़वाल :

  1. अल्लाह ने अपनी इताअत पर सवाब और अपनी नाफ़रमानी पर सज़ा इस लिए रक्खी है के अपने बन्दों को अज़ाब से दूर रक्खे और जन्नत की तरफ घेर कर ले जाये. 
  2. कंजूसी तमाम बुराई की जड़ है और ऐसी मेहार है ,जिससे हर बुराई की तरफ  खिच  कर जाया जा सकता है .
  3. इल्म  अमल से जुड़ी हुई चीज़  है लिहाज़ा जो जानता  है वोह अमल भी करता है ,और इल्म अमल को पुकारता है -अगर वोह लब्बैक कहता है तो बहतर है वरना वोह भी उससे रुखसत हो जाता है  -
  4. जो तुमसे हुस्ने जन रक्खे ,उसके गुमान को सच्चा साबित करो -
  5. ईमान दिल से पह्चान्ना ,ज़बान से इक़रार करना और आज़ा से अमल करना है -
  6. हसद की कमी बदन की सेहत का सबब है -
  7. इतनी अक्ल तुम्हारे लिए काफी है जो  गुमराही की राहो को हिदायत के रास्तो से अलग करके तुम्हे दिखा दे -
  8.  जो हक से टकराएगा ,हक उसे पछाढ़ देगा -
  9. फ़क्र और सर्बुलंदी को छोड़ो ,घमंड ओ गुरूर को मिटाओ ,और कब्र को याद रक्खो -
  10. जिस चीज़ पर कनात कर ली जाये वोह काफी है-
  11. जिसे अपनी आबरू अज़ीज़ हो ,वो लड़ाई झगड़े से किनारह कश रहे-
  12. ज़ालिम के लिए इन्साफ का दिन उससे ज्यादा सख्त होगा ,जितना मजलूम पर ज़ुल्म का दिन -
  13. जो अमल नहीं करता और दुआ मांगता है वोह ऐसा है जैसे बगैर चिल्ला कमान के तीर चालाने वाला-
  14. वोह उम्र जिसके बाद अल्लाह आदमी के उज़्र को कुबूल नहीं करता है ,६०(60 years) बरस की है -
  15. मै(हज़रत अली ) अहले ईमान का सरदार हूँ और बदकारो का माल सरदार है -

गुलाम-ऐ-अहलेबैत अ.स 
     असकरी  हसन ज़ैदी 

      Sunday, September 05, 2010

      Fazail-e-AmirulMomineen Ali a.s

      Hazrat Ali a.s Ki wiladat aur tarikh.




      1. Hazrat AbuHamza Farmate hai ke maine Imam ZainulAbedeen a.s se suna hai unhone farmaya Hazrat Fatima binte Asad r.a dauran-e-tawaaf bachche ke paida hone ke asaar namudaar hue woh Kaaba mai daakhil hui aur wahan Ali a.s ki wiladat hui.(Rozul waizeen 1-76)
      2. ShahenSha-e-wilayat Hazrat Amirulmomeen Ali a.s ki wiladat 13 Rajab juma ke roz paighambar-e-Khuda s.a.w.w ke 12 saal mab-oos hone se pehle khan-e-kaaba mecca mai hui us waqt Hazrat Mohammad Musatafa s.a.w.w 28 saal ke the.(Bihar-ul-anwar 7/35) 

      Hazrat Ali a.s ka nasb


      1. Hazrat Ali a.s Abutalib ke bete ,Abutalib Abdul muttalib ke bete  ,Abdul Muttalib Hashim ke bete,Hashim Abde manaf ke bete Qusse ke bete ,Qussi Kilab ke bete,Kilab Murrah ke bete,Murrah ka'ab ke bete,Ka'ab Loway ke bete,Loway ,Loway Galib ke bete,Galib Fehar ke bete,Fehar Malik ke bete ,Malik Nazr ke bete,Nazr Kunana ke bete ,Kunana Khazima ke bete,Khazima Madr ke bete,Madr Mozar ke bete,Mozar Nazaar ke bete,Nazaar Ma'ad ke bete,Ma'ad Janab Adnaan ke bete

      2. Ali a.s mere bhai hai
      Hazrat Salman Farsi r.a farmate hai :Maine Hazrat Mohammad Mustafa s.a.w.w se suna hai Aap s.a.w.w ne farmaya :Mere bhai aur wazeer jo ek bahtareen fard (Shaks)hai jis ko mai apne baad apna jaa nasheen banaoonga woh Ali ibne Abu-talib a.s hai .(कश्फुल 
      .गुम्मा १/153)





      Iltemas-e-dua
      Askari Hasan Zaidi Sirsiwi






      Saturday, September 04, 2010

      Allama Syed Mohammad Sibtain Jafri Sirsiwi (Books)


      सुल्तानुल मुताकल्लामीन सय्यादुल मोहक्केकीन अल्लामा सय्यद मोहम्मद सिबतैन सिर्सीवी 
      आपकी किताबो के नाम 

      1. As-Seerat-us-savi part1
      2. As-Seerat-us-savi Part2
      3. Kashaf-ul-Asraar Part1
      4. Kashaf-ul-Asraar Part2
      5. Kashaf-ul-Asraar Part3
      6. Kashaf-ul-Asraar Part4
      7. Paigham-e-Tauheed 
      8. Deeniyat barai itfaal 
      9. Islami Namaz 
      10. Khilafat-e-ilahiyya
      11. Mushafe Natik 
      12. Tarjuma muqaddama wa khatema Kokab-e-durri kokab-e-durri
      13. Mawaeze Hasna 
      14. Alburhan(Risalah)
      आपकी ज़िन्दगी के मुख़्तसर हालत-
      सिरसी सादात  ८००(800) साल पुराना क़स्बा है-सिरसी शुरू से ही  इल्म और फन का गहवारा रहा है -बड़े बड़े साहिब-ऐ-कमाल उलेमा ,शोरा इस सर ज़मीं पर पैदा हुए और सिरसी का नाम रोशन किया जिनमे अल्लामा सय्यद मोहम्मद सिबतैन सिर्सिवी  साहब अपने कारनामो कि  वजह से मशहूर और मारूफ इन्सान गुज़रे हैं - शुरू कि तालीम सिरसी मे मुकम्मल करने के बाद जज़्बा-ऐ- हुसूल-ऐ-तालीम आपने सिरसी से सफ़र तय किया -कहा जाता है के मज़ीद  तालीम हासिल करने के लिए आपके घर वाले सिरसी से बहार भेजने के मामले मे पस ओ पेश से काम ले रहे थे -दूसरी जानिब यही हालत  हम जमात हकीम मोहम्मद अब्बास सिर्सिवी साहब कि थी-बेहर हाल किसी सूरत दोनों हम-जमात
      किसी तरह जज़्बा-ऐ-हुसूल -ऐ- इल्म के लिए इजाज़त लेने मे कमेयाब होगये ---------

      असकरी हसन ज़ैदी(अलीगढ़ )