Thursday, December 31, 2015

imam khomaini

सय्यद  रूहुल्लाह मूसवी  खुमैनी 20 जमादी  अल आखिर 1320-1324  सितंबर 1902 में पैदा हुए थे ,  हजरत फातिमा के जन्म की सालगिरह के मोके पर खुमैन नामी जगह मे जनम हुआ।  , खुमेन क़ुम से  दक्षिण पश्चिम में करीब 160 किलोमीटर पर  है। आप एक मज़हबी घर मे  पैदा हुए  अपने पूर्वजों, इमाम मूसा अल काजिम, अहल अल बैत के सातवें इमाम के वंशज थे उत्तरी भारत के  क्षेत्र से अपने मूल घर से अठारहवीं सदी के अंत निशापुर  की ओर चले गए थे।

इमाम खुमैनी के दादा, सैयद अहमद मीर हामिद हुसैन लखनऊ से  नजफ में हजरत अली की कब्र के लिए तीर्थ यात्रा पर उन्नीसवीं सदी के मध्य में कुछ समय के लिए गए। 

Tuesday, July 14, 2015

shia

SIFAT USH SHIA ::; KIA SHIA HONE KE LIYE DAWA KAAFI HAI ?
Imam Muhammad Baqar a.s ne farmya kia kisi ke liye ye kaafi hai ki woh ape ko shiat ki taraf nisbat de ki mai ahlulbayt ka shia(dost) hoon ?Allah ki kasam hamara shia us shaks ke siwa koi nahi jo Allah se darta hai aur uske ahkaam ki ita'at karta hai .AL KAFI (GUNAH E KABIRA PAGE 74)

shirk e asgar

SHIRK E ASGAR::: Riyakaari (dikhawa karna) shirke asgar(chota) hai .
Hazrat Rasool saww ne irshad farmaya:Beshak tumhare BAARE mai jis chiz se mujhe zyada tar khauf hai woh sirk e asgar hai kisi ne arz kiya Ae paighambar saww chote shirk se kia muraad hai ? farmaya woh riya hai ,Qayamat ke din Allah ta'ala apne bandon k amaal ki jaza dene lagega to riyakaron se farmayega tum un logon ki taraf ruju karo jin ki khusnudi hasil karne ke liye nek aamal anjaam diye the.unhi logon se apne amaal ka sila yani badla lo kia unse silah milna mumkin hai ?hargiz nahi.(KITAB GUNAH-E-KABIRA PAGE NUMBER 167 AYATULLAH DASTEGAIB SHIRAZI R.A)
Note:::yaani muslim ya momin ko nek kaam Allah ke liye khalis karna chahiye dikhawe k liye nahi ...ya aise dikhe ki doosre bhi us nek amal ke liye attract ho .


Sunday, July 12, 2015

sifat e shia 1



Sheikh Sadooq r.a ki kitab Shia-e-ane ahlulbayt a.s :::
Sifat ush shia 
Imam Jafar Sadiq a.s ka farman hai Allah ki kasam Ali a.s ka shia woh hoga jo apne shikam(stomach)ko haram se bachaye,paak daman(zinakari se mahfooz) ho,Allah ki khushnudi (raza) ke liye amal karta ho usse sawab ki ummeed rakhe aur usse (Allah) se darta rahe.

AMAL-E-SHABE EID UL FITR




Saturday, June 13, 2015

HAZRAT ALI A.S KI MUHABBAT IMAN HAI




TASBIHE FATIMA ZAHRA. A.S ARTICLE BY ASKARI HASAN ZAIDI

बिसमिल्लाह हिररहमानिर रहीम   
हज़रत फातिमा अ.स और आपकी तस्बीह की फ़ज़ीलत  अ
तस्बीह के बारे मै अयातुल्लाह सय्यद अली नकी नकवी (नक्कन साहब)फरमाते है :कहीं से माले गनीमत में कुछ कनीज़े आई और वोह असहाब को तकसीम की जा रही थी -तो रिवायत बताती है के हज़रत अमीरुल मोमिनीन अली अ.स ने घर मै आकर फ़रमाया :तुम्हारे वालिद बुज़ुर्गवार स.अ.व.व के पास कनीज़े आयी है और मुख्तलिफ सहाबा को दे रहे हैं तो जितना सबको हक है उतना तो तुम्हे भी है -लिहाज़ा अपने अपने वालिद के पास आप जाइए और खुआहिश करिए के एक कनीज़ तुम्हारे सुपुर्द करदें -अब किन लफ्जों मै कहाँ होगा वोह रिवायत ने नहीं बताया ------मैं समझता हूँ कि हाथ दिखा दिए होंगें यही काफी है -हज़रत मोहम्मद स.अ.व.व ने फ़रमाया बेटी हाँ ठीक है  मुतालेबा तुम्हारा ठीक है -मगर तुम खुद बताओ कनीज़ लोगी या एक ऐसी तस्बीह सिखादूं जो आस्मां के मलिका को बहुत पसंद है  -हज़रत फातिमा अ.स कहने लगी बाबाजान बस तस्बीह सिखा दीजिये -और वोह तस्बीह थी ३४ बार अल्लाहो अकबर ,३३ बार अल्हम्दोलिल्लाह ,३३ बार सुभान अल्लाह -इसलिए इस तस्बीह का नाम तस्बीह-ऐ-फातिमा ज़हर स.अ पढ़  गया -  
हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अ.स का फरमान :
हज़रत फातिमा अ.स कि तस्बीह से बढ़ कर कोई इबादत नहीं है इस लिए के अगर के अगर उससे बढ़ कर कोई और शै(चीज़ ) होती तो रसूल स.अ.व.व हज़रत फातिमा अ.स वही चीज़ अता फरमाते -  
इमाम जफ़र सादिक अ.स का फरमान :


  • जो शख्स वाजिबी नमाज़ के बाद हज़रत फातिमा अ.स कि तस्बीह को बजा लाये और वोह उस हल मै हो के उसने अभी तक अपने दाये पाओ को बाये पाओ पर से उठाया भी न हो ...उसके तमाम gunah माफ़ करदिये जाते है -और इस तस्बीह का आगाज़ अल्लाहोअक्बर से किया जाये-(तहज़ीबुल अहकाम जिल्द २ पेज 105)
  • हर रोज़ हज़रत फातिमा अ.स कि तस्बीह का हर नमाज़ के बाद बजालाना मेरे नजदीक रोजाना एक हज़ार रकत नमाज़ अदा करने से ज़्येदा महबूब है- (फुरु-ऐ-काफी किताब सलत पेज ३४३ हदीस 15)
रात को सोने से पहले तस्बीह पढ़ने कि फ़ज़ीलत 
  • हज़रत इमाम जफ़र सादिक अ.स ने फ़रमाया :जो शख्स रात को सोने से पहले हज़रत फातिमा अ.स की तस्बीह को पढ़े तो वोह उन मर्दों और औरतो मै शुमार होगा जो अल्लाह को ज्यादा याद करते है -(वासिल उष शिया जिल्द ४ पेज 1026).
  • हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अ.स ने फ़रमाया :जो शख्स तस्बीह के बाद अस्ताग्फार करे ...उसके गुनाह माफ़ करदिये जाते है -और उसके दानो की अदद १०० है -और उसका सवाब मीज़ान-ऐ-अमल मै हज़ार दर्जा है-






Dua Istekbaale Mahe RAMZAN .....Imam Ali ibne Husain Zainulabedeen a.s







shahade Imam Husain a.s








SAJADAHGAH PAR SAJDA KYUN